Bharat Solanki

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लेखनी कहानी -21-Feb-2024

 तेरी ही चाहत को,

अपने मन में तलाशा है। भूल गया तेरी आहट को, जिसे अपना हमने बनाया

दुर कर ऐ हुस्न परि! अपने मन के भ्रम को क्या कोई यु ही छोडेगा, अपने मन की शर्म को

वो तो मन मेरा होने वाली अपने पन को भापता है। यह तो भ्रम है मन मे तेरा, क्यो वो अकेला खड़ा मुझको ताकता है ।।

वो तो पूनाह देता, अपने मन के भ्रम को , इजहार करने में तोडेगा अपने मन क शर्म को

हाँ ख्यालों में तेरे, बारह बाल्ह वो रहता है। पर उसके मन में उसी की, याद आज रहती है

छोटी सी सलाह देता हूँ ! भूल तू अपने भ्रम को कुत्सित विचारों को लेता हूं शुरु कर अपने कर्म को

मेरे शिवा तुझे कोई तो मिल जाएगा पर तेरी लगाई आग से कोई तो जल जाएगा ।।

तुझ नाजुक कली के अगणित शूल है । उस भोली सूरत के पर निर्भर उसका कुल है।

करता इज्जत उसकी कोई वो उसे मिल जाएगी भ्रम की आग से भुलते कोई 'क्यो शुगुन तुझे मिल जाएंगा।1

           जिन्दगी तेरी निकल जाएगी 
            पश्चाताप के सन्ताप में 
              बन्दगी 'तेरी उतर जाएगी.
           इस भ्रम के पालन पाप में

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7 Comments

Gunjan Kamal

22-Feb-2024 11:52 PM

👌🏻👏🏻

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Mohammed urooj khan

22-Feb-2024 12:03 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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RISHITA

22-Feb-2024 12:47 AM

Amazing

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